आओ फिर से दिया जलाएं
भरी दुपहरी में अँधियारा,
सूरज परछाई से हरा,
अंतरतम का नेह निचोड़े, बुझी हुए बाती सुलगाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं।
हम पड़ाव को समझे मंजिल,
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल,
वर्तमान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं।
आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा,
अपनों के विघ्नो ने घेरा,
अंतिम जय का वज्रा बनाने, नव दधीचि हड्डियाँ गलाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं।
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