अग्निपथ
संघर्ष जीवन का ही दूसरा नाम है|या यूँ कहे तो संघर्ष ही जीवन है| सफलता की चाहत तो सभी को होती है, परन्तु उस सफलता को पाने के लिए किये जाने वाले संघर्षो से सभी कतराते है|जबकि सफलता का मार्ग ही संघर्ष से होकर जाता है|
दोस्तों आज हम Pahals.in पर हरिवंश राय बच्चन की एक बेहतरीन कविता ” अग्नि-पथ “ लेकर आये है, जिसमे हमारे जीवन के संघर्षो को अग्नि के सामान मार्ग बताया गया है अर्थात, अग्निपथ संघर्षमय जीवन को कहा गया है, हमें अपने जीवन में आने वाले संघर्षो का खुद ही सामना करना चाहिए, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आये, हमें किसी से मदद नहीं मांगना चाहिए। अगर हम किसी से मदद लेंगे तो हम कमजोर पड़ जायेंगे और हम जीवन रूपी संघर्ष को पूरा नहीं कर पाएंगे। हमें अपने खुद के परिश्रम से सफलता प्राप्त करने को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाना चाहिए|
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
दोस्तों इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है की, हमें अपनी मंजिल को पाने के लिए बिना थके, बिना रूके व बिना डरे कर्मठतापूर्वक आगे बढ़ते रहना चाहिए। क्यूंकी परेशानियाँ तो हमेशा हमारे चारों तरफ रहेंगी ही, परन्तु हमें सफलता प्राप्त करने के लिए उन परेशानियों को धकेलते हुए निरन्तर प्रायशरत रहना चाहिए|
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