दोस्तों प्रकृति की सुंदरता अदभुत है, इसके सुंदरता की तुलना किसी भी अन्य चीजों से नहीं की जा सकती क्यूंकि प्रकृत से ही हम है और ये पूरा संसार है| प्रकृत ने हमें हमारी जरूस्तो के हर एक संसाधन उपलब्ध कराये है चाहे वह पीने के लिए पानी हो या सोने के लिए छत, सबकुछ हमे इस अद्वितीय प्रकृत ने ही दिया है| प्रकृत की सुंदरता तो देखते ही बनती है| और इसीलिए आज हम pahals पर प्रकृत की अद्वितीय सुंदरता को एक खूबसूरत poem के माध्यम से लेकर आये है| जिसका शीर्षक है ” ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे “
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचते सुंदर मोर
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये खुबसूरत चांदनी रात
ये तारों की झिलमिलाती बरसात
ये खिले हुए सुन्दर रंगबिरंगे फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
दोस्तों प्रकृत बहुत ही सुन्दर है इसके वन उपवन फल फूल मौसम सब देखते ही बनते है| भले ही आज इंसानो ने प्रकृत को अपनी-अपनी सुविधा की अनुशार आलिशान महलो एवं मकानों इत्यादि में बाँट लिया है उसके बावजूद प्रकृत की सुंदरता कभी कम नहीं हुई है|
दोस्तों यह कविता हमे सिख देती है की जैसे प्रकृति ने अपने सुंदरता को हर मौसम चाहे सर्दी गर्मी बरसात में बरकरार रखती है और दुसरो को अपने फल फूल छाँव और अपनी सादगी से सुकून शांति प्रदान करती है उसी तरह हमें भी सदैव अपने आत्मविश्वास को बनाये रखना चाहिए चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आये हमेशा हर परिस्थिति का डट के सामना करना चाहिए|
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